Wednesday, November 16, 2011

न्यायिक प्रक्रिया में सुधार की बड़ी-बड़ी बातें की जाती ...........

दोस्तों,

पिछले दिनों सूचना के अधिकार कानून के तहत जो जानकारी मिली है वह हैरत में डालने वाली है। अपने ही देश के एक अदालत के आंकड़े बताते हैं कि एक जेल में सैकड़ों ऐसे कैदी हैं जो अपनी सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में सिर्फ इसलिए अपील नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि उनके पास जजमेंट की कॉपी नहीं है।
मुंबई के फोर्ट स्थित सेशन कोर्ट द्वारा पिछले पांच सालों में 2247 लोगों को सजा सुनाई गई, लेकिन इनमें से संभवत: 44 फीसदी लोगों को फैसले की कॉपी नहीं मिली। 
इसके बगैर वे अपील नहीं कर सकते। उसमे से संभवतः कई आज भी जेल में जजमेंट की कॉपी का इंतजार कर रहे हैं, जबकि सजा सुनाए जाने के तत्काल बाद फैसले की कॉपी नि:शुल्क प्राप्त करने का उन्हें कानूनी हक है।
जब एक कोर्ट का यह हाल है, तो देश के हजारों न्यायालयों में क्या स्थिति होगी।इसे तो आसानी से समझा जा सकता है, अदालती अमले के ढीले-ढाले रवैये और कामकाज के पुराने तौर-तरीके के कारण असंख्य लोगों के लिए न्याय ठिठका पड़ा है।। न्यायिक प्रक्रिया में सुधार की बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं,कई कमेटिय बनाई बिगड़ी जाती है , लेकिन इस तरह के छोटे पहलुओं की प्राय: अनदेखी की जाती है। अगर थोड़ी तत्परता दिखाई जाए तो बहुतों को राहत मिल सकती है


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Abhishek Anand

Legal Freedom "a firm for legal solution"

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