"पीड़ा"
समग्र विकास राष्ट्र का,
क्या हर व्यक्ति का विकास है ?
एक पुष्प का खिल जाना
क्या सम्पूर्ण वृक्ष विकास है?
घाट-घाट घूम के आये
न समझे अपने अधिकारों से
लौट लौट खाट पर रोये
न मिले उपचारों से,
घुमड़-घुमड़ कर कितने बादल
आये और चले गए,
जो बची थी आँखों में नमी,
उनके आश्वासन से सूख गयी,
क्या खाते है क्या पीते है
कैसे जाने अधिकारों को
दो जून की रोटी महंगी,
उनके कोरे कागज में,
कौन सुनता है आज हमारी
बंद सरकारी पन्नो में
जब भी "हक़" की मांग की
मिली 'गोलियां' उपचारों में ,
कैसे लड़े हम इस कुटील कुटिस्ट विकारों से
कुंद पड़ी भूखी-नंगी इन तलवारों से,
तुम भी आओ हम भी आयें
मिलकर एक चेतना लायें
दूर हो विधिक अधिकारों का अज्ञान
भारत के हर कोने से |
- सौरभ तिवारी,
Allahabad high court
9452993513 दोस्तों,
ये सिर्फ कविता ही नहीं है बल्कि
आज की हमारी न्याय प्रक्रिया पर
एक चोट भी है, क्या न्याय की
यही वर्तमान प्रक्रिया बहुत हद तक
दोषी नहीं हमारे समाज में असंतोष को
फ़ैलाने में...??..
इसी न्याय प्रणाली में
सुधार के लिए हमारा छोटा सा प्रयास है
ये legal freedom law firm की स्थापना,
जो केवल व्यावासिक स्तर पर ही नहीं
बल्कि सामाजिक स्तर पर भी काम करेगा,
आप भी आपना महत्वापूर्ण सुझाव जरुर दे,!
ये कविता आप को कैसी लगी,और हमें और
किन चीजो पर काम करना चाहिए..
आप का सुझाव महत्वपूर्ण है
आप ने अपना मूल्यवान समय दिया,
उसके लिए आपका धन्यवाद .
उसके लिए आपका धन्यवाद .
-अभिषेक आनंद
Delhi High Court
-शाबिया खातून.
-अभिषेक आनंद,
-संतोष सिंह
-सौरभ तिवारी
-राजेंद्र कुमार चौरसिया, एव अन्य.
Legal freedom " a firm for legal solution"
Office- New Delhi,
- Allahabad,
-Lucknow,
-Patna
Blog-legal-freedom.blogspot.com
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