सशक्त हस्ताक्षर
अब कोई हाथ न तरसे मेहदी के ख्वाबों से,
अब न कोई सिसकियां किसी गरीब के आंगन से,
अब न हो किसी ‘बाबुल’ के हाथों में अर्थी की सौगात,
अब न लौटे कोई बारात दहेज के अभिषापों से,
माँ के हाथों से तरशी गुडिया,
तोड न पाये कोई बहशी दरिन्दा,
न बिके बाजरों में अब कोई ‘नेहा’
किंचित न सुनाई पडे ऐसे बिलाप,
जिसके बिखरें हों बस्तों क ख्वाब,
बुझी हों एक अदद खुशी प्यास,
हाथों से ये लिखें कल्पना की उडान,
आँखों में इनके पले रंगीन किरण के ख्वाब,
गर्भ की दीवारों से शिशकियां बंद हों,
इनको मिले सम्मानित शबनमी ख्वाबों क महल,
ये लड्कियां बनें किसी के आंगन की किल्कारियां,
दफ़्न हो इनके खिलाफ़ चलने वाली रुढियां,
मिले इनको माँ ,बहन,पत्नी से उपर उठने क अवसर,
बढकर के आगे करें विश्व के भाल पर सशक्त हस्ताझर।
सौरभ तिवारी
सदस्य लिगल फ़्रीडम फ़र्म।
Abhishek Anand,
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